एक दिन मस्त जी के पिता जी बोले
"बेटा अब तो तू बड़ा हो गया है
घर के आँगन में
खंबे की तरह खड़ा हो गया है।
कब अपने जीवन को प्रगती की ओर मोड़ेगा?
या यूँ ही घर बैठ कर
मुफ़्त की रोटी तोड़ेगा?
मैं तो तेरी हालत देख कर परेशान हूँ
की तू आगे जा कर क्या बनेगा?
बनेगा या हमको ही बनायेगा
यही सोचकर हैरान हूँ!"
मस्त जी ने कहा - "पापा आप फ़िक्र मत किजीये
मेरा भविष्य है उज्जवल
और कुछ भी नहीं बन पाया अगर,
कवि तो बन ही जाउँगा
आज नहीं तो कल।"
पापा बोले "हम तुझे समझाते हैं
क्या तुझे अपने मे
पागलपन के लक्षण नज़र आते हैं।"
मस्त जी बोले "मेरी अक्ल के पत्थर पर
फ़ूल खिल रहे हैं
आज मुझे कवि बनने के signal मिल रहे हैं
आज पूरे महीने मे पहली बार नहाया हूँ
और किसी की तेरहवीं पर
जन्मदिन की बधाई देकर आया हूँ,
चौर्य विद्या मे भी हो गया हूँ निपुण"
वे बोले "ये है तेरा सबसे बड़ा गुण
यही गुण तो तेरा भविष्य चमकायेगा
और एक दिन तुझे महाकवि बनायेगा।
एक बात याद रहे
किसी जीवित कवि की पंक्ती
चुराने का risk मत उठाना
जब भी चुराना किसी स्वर्गिय कवि
की ही रचना चुराना
जीवित कवि तो तुझे काट खायेंगे…
अब क्या महाकवि निराला तुझसे पूछने आयेंगे?
अगर तू अपनी कविता को बनाना चाहता है स्वदिस्ट
तो उसमे अश्लीलता को ज़रूर करना प्रविस्ट
तेरी रचना सुनके जनता गोभी के फूल
की तरह खिल जायेगी
और पूरी इमारत तालियों से हिल जायेगी
जिस दिन भारत मे भ्रस्टाचार की तरह
ये सारे गुण आ जायेंगे
उस दिन महोदय आप
महाकवि मस्त जी कहलायेंगे।"
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